चंचल ,सुशील मधुर रस हाला शीतल पवन आ रही हो चढ़ जाए ,बिन पिये प्याला न सोचूं तो भी खिल चंचल ,सुशील मधुर रस हाला शीतल पवन आ रही हो चढ़ जाए ,बिन पिये प्याला न सो...
ये राज जो सदियों से दिलों में दफन हैं और शायद कभी नहीं खुलेंगे! ये राज जो सदियों से दिलों में दफन हैं और शायद कभी नहीं खुलेंगे!
छलक जाते कभी कभार , बन कर पानी। छलक जाते कभी कभार , बन कर पानी।
आंखों के राज़ भी बड़े गहरे होते हैं लाख छुपाओ पर इन पर भी कई चेहरे होते हैं। आंखों के राज़ भी बड़े गहरे होते हैं लाख छुपाओ पर इन पर भी कई चेहरे होते हैं।
वाटिका में क्या खिला पाटल हाय कैसी हो रहीं पागल नित-नवेली रँग-बिरंगी तितलियों वाटिका में क्या खिला पाटल हाय कैसी हो रहीं पागल नित-नवेली रँग-बिरंगी ...
मैं क्या लिखता कोरे पन्ने पे, वो तो मुझे अपना मानती थी। मैं क्या लिखता कोरे पन्ने पे, वो तो मुझे अपना मानती थी।