मत किसी को भी बताना
मत किसी को भी बताना
किसी को भी मत बताना ,
राज की यह बात।
वाटिका में क्या खिला पाटल
हाय कैसी हो रहीं पागल
नित-नवेली रँग-बिरंगी
तितलियों की जात,
मत किसी को भी बताना
राज की यह बात ।
हाथ मँहदी पग महावर के
नदी पहुँची द्वार सागर के
अठखेलियाँ चलती रहीं
आज सारी रात
मत किसी को भी बताना
राज की यह बात ।
स्वप्न आया, थी सुबह सोती
सम्पुटित है सीप में मोती
प्रिय तभी से हो रही हूँ
मैं प्रफुल्लित गात,
मत किसी को भी बताना
राज की यह बात।

