मन आस तारा
मन आस तारा
सूर्य डूबा डूब जाये.
चाँद डूबा डूब जाये.
किन्तु ना डूबे कभी,
मन आस तारा.
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ज्ञात जो भी है,
वही पर्याप्त है,
अज्ञात को क्यों,
ज्ञात करना,.
हाथ जो भी है,
वही पर्याप्त है.
अप्राप्त को क्यों,
प्राप्त करना.
कर्म का क्या मर्म,
यदि विश्वास हारा.
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स्वयं से संघर्ष,
पर से प्रीति होती.
शोक मन मुख हर्ष,
उत्तम नीति होती.
नीति की इस रीति,
से संसार हारा.