STORYMIRROR

अच्युतं केशवं

Abstract

4.5  

अच्युतं केशवं

Abstract

अलग हो रूप रंग में

अलग हो रूप रंग में

1 min
24K


अलग हो रूप रंग में, अलग हो वेश भाष में

यदि मनुष्य हो तो मिलो, मनुष्यता प्रकाश में


मन में धरो न दीनता, औ त्याग दो मलीनता

हो सुखी स्वतंत्र विश्व, निश्शेष हो अधीनता


एक रचनाकार का रचा हुआ जहान है

मनुष्य के रचे हुए पृथक-पृथक विधान हैं


विधान हैं रहे अगर सहाय हो सुपंथ के

सात द्वीप के मनुष्य हैं एक ही कुटुंब के।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract