अलग हो रूप रंग में
अलग हो रूप रंग में
अलग हो रूप रंग में, अलग हो वेश भाष में
यदि मनुष्य हो तो मिलो, मनुष्यता प्रकाश में
मन में धरो न दीनता, औ त्याग दो मलीनता
हो सुखी स्वतंत्र विश्व, निश्शेष हो अधीनता
एक रचनाकार का रचा हुआ जहान है
मनुष्य के रचे हुए पृथक-पृथक विधान हैं
विधान हैं रहे अगर सहाय हो सुपंथ के
सात द्वीप के मनुष्य हैं एक ही कुटुंब के।