छिपा हृदय निज व्यथा
छिपा हृदय निज व्यथा
कठिन हँसाना है बहुत, सरल रुलाना काम
या जग में पागल हँसे या जिसे हँसाए राम
या जिसे हँसाए राम, हँसाता किन्तु विदूषक
कुछ पल को ही सही, दुःख कष्टों का मोचक
छुपा हृदय निज व्यथा, ओंठ मुस्कान दिखाना
निज की बना मजाक, अन्य को कठिन हँसाना।
