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Piyosh Ggoel

Abstract Inspirational

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Piyosh Ggoel

Abstract Inspirational

भारत की गौरव गाथा

भारत की गौरव गाथा

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आज तुम्हें भारतवर्ष की गौरव गाथा सुनाऊंगा

कितने भाग्यशाली हो तुम तुम्हें आज बताऊंगा

तुम्हें सुनाऊँ भारत की गौरव गाथा को

करूँ प्रारम्भ शीश नवाकर भारत माता को


इस भूमि का हुआ कभी जन्म नहीं

राष्ट्र से बढ़कर इस धरा पर कोई धर्म नहीं

पूर्व से पश्चिम तक बहती जहां पवित्र नदियों की धारा है

ये वो पावन धरती है जिसे पूजता जग सारा है


गीता का उपदेश माधव ने इस धरती पर सुनाया था

भाग्य से श्रेष्ठ कर्म है, दुनिया को ये समझाया था

विश्व गुरु था ये भारत, नालन्दा विश्वविद्यालय खड़ा हुआ था

मानवता की सीख सीखता मानव यहीं पर बड़ा हुआ था


सिख, मुस्लिम, जैन, बुध, अनेक धर्मों का वास है

ये वो धरती है जहां 33 कोटि देवताओं का निवास है

अनेक सम्प्रदाय है, पर अनेकता में एकता इस देश की शान है

इसलिये हम गर्व से कहते की सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान है


ये वो देश है जहां 6 ऋतुओं का होता आवन जावन है

पतझड़ भी इस देश मे होता और होता भी सावन है

गिली मिट्टी की खुशबू भी इस धरा से आती है

अपने बच्चों को खुश देखकर भारत माता मुस्काती है


श्री राम, कृष्ण की ये धरती वाणी है

अमर यहाँ पर गोरा बादल की बलिदानी है

सन्त कबीर, नानक के उपदेशों की ये धरती है

तुलसी, सुर, रहीम के संदेशों की ये धरती है


श्रवण कुमार ने अपने मात - पिता का मान बढ़ाया था

कंधों पर तीर्थ यात्रा कराई, पुत्र धर्म दुनिया को बतलाया था

चाणक्य ने इस धरती पर ही अर्थशास्त्र का ज्ञान दिया था

ये वो भूमि है जहां जहाँ शंकराचार्य ने ध्यान किया था


हरिश्चंद्र सत्य की मूरत थे, आज भी जग देता मिसाल है

भारत में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति खुद में कमाल है

आर्यभट्ट, रामनुज ने दुनिया को गणित सिखलाई थी

शून्य की महत्ता हमने ही दुनिया को बतलाई थी


दानवीर कर्ण ने दान की परिभाषा दी

सब भाषाओं की जननी कहलाने वाली संस्कृत भाषा दी

विश्व प्रसिद्ध है यहाँ पर जन्मे तानसेन के सुर और तान

ये वो धरती है जिसपर अवतार लेते है खुद भगवान


ये वो भूमि है जहां जन्म हुआ था झांसी वाली रानी का

इस धरती पर नारा दिया था वीर शिवाजी ने जय भवानी का

इस भूमि पर ही बुद्ध को आत्मज्ञान हुआ था

इस भूमि पर ही 24 तीर्थंकरों का निर्वाण हुआ था


सूरज की किरणें सबसे पहले इस धरती पर पड़ती है

इस भूमि का गुण गान तो गंगा की लहरे करती है

तक्षशिला से गंधार तक भारत का परचम लहराता था

ये वो भूमि का टुकड़ा है जो सोने की चिड़िया कहलाता था


पवित्र नदियों का इस धरा पर संगम है

ऊँचा रहता हमारा तिरंगा हर दम है

श्रुति दी, भारत ने ही दिया था षड्दर्शन को

हमने ही जाना था सबसे पहला वैज्ञानिक पूजा अर्चन को


अहिंसा परमो धर्म दुनिया को जिसने सिखाया है

अतिथि देवो भव: की परंपरा को जिसने अपनाया है

रसखान जहाँ कृष्ण के पद गाता था

ये वो भारत है जहां प्रेमचंद ईदगाह सुनाता था


पृथ्वी राज ने शब्दभेदी बाण गोरी को मारा था

अंधे होकर वतन के खातिर गोरी को मृत्यु घाट उतारा था

आज भी सारा जग गाता है पन्ना धाय की कुर्बानी को

इतिहास आज भी भुला ना पाया हाड़ी रानी को


वैभवशाली था भारत पर तुर्किस्तान से आफत आई थी

तुर्को ने इस धरा को काटा, मची भारत मे तबाही थी

कई वर्षों तक रात्री रही, तुर्को ने ही राज किया

सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश के वैभव का नाश किया


फिर भारत में अँग्रेज़ों का अत्याचार हुआ

आर्यव्रत अपनो के कारण गैरो के आगे लाचार हुआ

जलियांवाला बाग में गोली चलाने वाले भी अपने थे

अंग्रेजों के कारण ही दफन हुए भारत के सपने थे


पर सूरज चमका, जागे क्रांतिकारी

भारत की जंजीरे तोड़ेंगे, कर ली थी प्रतिज्ञा भारी

भगत सिंह, राज गुरु देश के खातिर फाँसी पर झूले थे

भारत माता ही याद रही, अपने परिजन को भूले थे


कइयों ने जान गवाई तब हमने आज़ादी पाई थी

भारत की मिट्टी क्या होती हमने दुनिया को दिखलाई थी

आज भी जग सम्मान है करता गांधी जी के विचारों का

हमने ही पाठ पठाया था सत्य धर्म व्यवहारों का


भारत की गौरव गाथा को मैंने आज तुम्हें सुनाया है

पुण्य भूमि इस धरा की महिमा को मैंने बताया है

ये ही कामना ईश्वर से की मेरा भारत सदा जग में महान रहे

मैं चाहे रहूँ कहीं पर भी मन में मेरे बस हिंदुस्तान रहे।


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