दिखावटी चोला
दिखावटी चोला
पहनें हैं सभी आज चोला दिखावटी,
हँसते हैं हँसी दिखावटी,
छुपा जाते हैं दर्द गहरा,
झांको आँखों में यदि इनकी,
छलकता दिखाई दे ही जायेगा,
पैमाना दर्दे दिल का,
खोल पट दिखावटी चोले का।
छुपा लेतीं परतों में श्रृंगार के शरीर पर लगे,
ज़ख़्मों के निशान, दिये जो हमसफ़र ने,
कर देता आंखों में छुपा दर्द परदाफ़ाश,
छुपे राज़ों के राज़ का।
या फिर……
लेती बना बहाने लगी चोट दुर्घटना के कारण,
करती कोशिश नाकाम ओढ़ दिखावटी चोला,
कंपकंपाती आवाज़ कर देती इंगित सच्चाई की ओर।
करने के बाद, करने से पहले हज़ारों तरह तरह के पाप,
जाते करने दर्शन मंदिरों में पहन चोला दिखावटी,
कपट भरी मुस्कान चेहरे की करती चेष्टा नाकाम,
छुपाने की अपराध बेशुमार।
बनते पंडित ज्ञानी महान पहने चोला दिखावटी,
करते अनेकों दुष्कर्म छुप छुप कर,
जो दिखा देते रास्ता जेल का।
न जाने छुपे हैं कितने अपराधी सफ़ेदपोश बन,
जो छुपे ही रह जाते हैं पहने दिखावटी चोला,
बन साँप आस्तीन का उगलते रहते ज़हर,
होते रहते शिकार बच्चे बूढ़े जवान,
मच जाता हाहाकार समाज में,
लेते रहते आनंद ये पापी आलीशान घरों में,
पहन दिखावटी चोला।
