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Piyush Goel

Abstract Romance Tragedy

4.5  

Piyush Goel

Abstract Romance Tragedy

उर्मिला की उदासी

उर्मिला की उदासी

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अनुज होने का आपने धर्म निभाया

भाई - भाभी संग चले गए वनवास

पर अपनी प्रेयसी को क्यो छोड़ दिया

मेरे किस दोष से मुझे दिया विरह का त्रास


दीदी सीता ने भी महल को त्यागा

जब वन जाने लगे रघुनाथ

मुझसे भी संग ले चलते स्वामी

मैं भी निभाती वन में आपका साथ


आपके बिना मेरी हालत ऐसी

जैसे हो चांद बिना चांदनी

आपके वियोग में तरस रही ऐसे

जैसे तरस रही हो राग विरह में रागनी


श्रृंगार करू मैं तब किसके लिए

जब मेरे संग न हो मेरे प्रियतम

उन उत्सवों की शोभा कैसी

जिसमे मेरे संग न हो मेरा साजन

आपके बिना एक दिन रहना मुश्किल

चौदह वर्ष मैं अकेले कैसे बिताउंगी

पति बिना मुझे कुछ नहीं सुहाए

आपके वियोग में मैं कैसे जी पाऊंगी।


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