STORYMIRROR

Piyush Goel

Tragedy

4.5  

Piyush Goel

Tragedy

औरत की आजादी

औरत की आजादी

2 mins
35


एक गीत अक्सर भारत मे गुनगुनाया जाता है

सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान बताया जाता है

इस गीत के हर बोल को कवि को परखना होगा

कितनी है सच्चाई इसमें, मूल्यांकन तो करना होगा


आज भी हर चौराहे पर दुर्योधन खड़ा हुआ है

नारी का स्वाभिमान उसके पैरो में पड़ा हुआ है

नारी के चिर को ही चीरहरण का कसूरवार बताया जाता है

घिनोने कर्म का दोषी नारी को ही ठहराया जाता है


मर्यादा की आड़ में नारी को आज भी पर्दे के पीछे छिपाया जाता है

कुल की लाज हो तुम, ऐसा कहकर अधिकारों को दबाया जाता है

आज भी कई स्त्रियों की लाज बिकती है सरे आम बस्ती में

करते है दरिंदगी स्त्री से कुछ लोग चूर होकर मदिरा की मस्ती में


देश मे कहा जाता है चूड़ियों को कमजोरी की निशानी

मर गई पन्ना धाय, पद्मिनी और मर गई झांसी वाली रानी

नारी की आजादी खो गई आजादी के नारों में

चिर हरण आज भी हो रहा है राज दरबारों में


"आठ बजे से पहले घर आना " माँ बेटी को हुकुम सुनाती है

"कुल की लाज ना डुबाना " हर दिन ये समझाती है

आजादी वाले देश मे बेटी पर ऐसी पाबंधी क्यो ?

यही दिन देखना था

तो लड़े भगतसिंह और गांधी क्यो ?


पर्दे के पीछे रहना, गुड़िया सी तुम महफूज़ रहोगी

ऊंचे स्वर से पति से कभी कुछ भी नही कहोगी

फिर कहते है कि बोलने का हक संविधान देता है

फिर इस हक को क्यो ये समाज नारी से लेता है ?


बेटी को दिखाया जाता राजकुमार के संरक्षण में रहने वाली राजकुमारी का सपना

क्यो नही कहा जाता ये की उठाले तलवार और खुद बचाले चिर अपना

क्यो आजादी में भी कृष्णा को कृष्ण पर निर्भर रहना पड़ता है ?

अगर सच मे आजादी है तो औरत को ऐसा अपमान क्यो सहना पड़ता है ?


कुछ लोग कहेंगे कि सन अस्सी की ये बाते है, 24 में इनका मौल नही।

चिर हरण पहले होता था, इस समय और चिर हरण मे कोई भी तौल नही।

पर कभी अपने बंगलो से बाहर निकलो और झांको कभी छोटे शहरों में

औरत की चीख आज भी सुनाई देती है गलियारों से


पर कितनी ही चीखे आए, हम कोई भी चीख नही सुनेंगे

चाहे कितनी ही लाचारी हो, राजा से हम सवाल नही करेंगे

भूल जयेंगे हम की कितनी औरतों की आजादी को मौत के घाट उतारा है

और बस हमेशा यही गुनगुनायेंगे की सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy