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मिली साहा

Romance Tragedy

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मिली साहा

Romance Tragedy

आज फिर तेरे तसव्वुर ने

आज फिर तेरे तसव्वुर ने

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आज फिर तेरे तसव्वुर ने नींद को इन आँखों से रूख़्स्त किया है,

एक तितली ने जो स्पर्श किया आकर, लगा तेरा पैगाम आया है,

तेरी यादों की बारिश में तो अक्सर ही भीगा करता है ये मन मेरा,

पर आज ये स्पर्श तेरी उन गलियों में मुझे फिर से खींच लाया है।

जहांँ हर लम्हा तेरी बातों, मुलाकातों की महक आज भी आती है,

थक जाता हूँ जब भी ज़िंदगी से पास आकर वो मुझे सहलाती है,

तेरे चेहरे पर खिला वो तबस्सुम, आज भी कैद मेरी इन पलकों में,

जो यादों के अंजुमन में हर लम्हा, तेरे होने का एहसास कराती है।

याद है जब भी चलती थी तुम मेरे कदमों से अपने कदम मिलाकर,

खुद को कितना खुशनसीब समझता था, उस एक पल में जीकर,

काश! लौटा पाता उन पलों को, छीन लता वक्त़ से सदा के लिए,

फिर जाने ना देता कभी तुम्हें रख लेता अपने दिल में मैं छुपाकर।

कितना भरोसा था न तुम्हें किस्मत पर अक्सर ही कहा करती थी,

तुम्हारे साथ ज़िन्दग़ी हर लम्हा, कितनी ख़ूबसूरत हुआ करती थी,

अब तो बस तुम्हारी यादों की चादर ओढ़ कर ही, बीतते दिन मेरे,

सदा के लिए चली गई तुम जो एक पल भी जुदा होने से डरती थी।



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