आंग्ल बनी है मीठा शरबत (व्यंग्य)
आंग्ल बनी है मीठा शरबत (व्यंग्य)
हिंदी के सेवक सब देखो, कैसे मौज मनाते हैं ?
पुस्तक सारी दीमक खाते, हिंदी पढ़ वे जाते हैं।
लिखी बधाई अंग्रेजी में, उसी का बोलबाला है।
आंग्ल बनी है मीठा शरबत, हिंदी तो बस प्याला है॥१॥
मातृभाषा हिंदी बताते, माँ को कब वह आती है ?
नाम सभी चीजों के लेकर, अंग्रेजी सिखलाती है।
गूगल बाबा धन्य हमारे, बने हुए हिंदी ज्ञाता ।
मोबाइल में गीत बजाकर, हिंदी वह सतत सिखाता॥२॥
मंचों पर चढ़ एक दिवस सब, हिंदी के गुण गाते हैं ।
साथी की जब नजर पड़े तो, मुख ढककर वे जाते हैं।
हर पल हर दिन दुख झेले जो, वह अपनी हिंदी प्यारी।
अंग्रेजीमय जीवन लखकर, सहती है पीड़ा सारी॥३