कोई बाहर का आकर रोज़ मुझे पकड़ता है, ज़मीन पर ज़ोर-ज़ोर से रगड़ता है, कोई बाहर का आकर रोज़ मुझे पकड़ता है, ज़मीन पर ज़ोर-ज़ोर से रगड़ता है,
कुछ जनाजे मसान की तरफ भी गए थे जहाँ वे चिताओं में जलकर राख हो गए थे कुछ जनाजे मसान की तरफ भी गए थे जहाँ वे चिताओं में जलकर राख हो गए थे
त्याग, सेवा ही धर्म है प्रजा-हित ही राज धर्म। त्याग, सेवा ही धर्म है प्रजा-हित ही राज धर्म।
ये देवदूत अद्भुत औ अनूप स्वास्थ्य कूप। ये देवदूत अद्भुत औ अनूप स्वास्थ्य कूप।
एक विनती करते हैं सबसे घर पर साथ रहो सब मिलकर। एक विनती करते हैं सबसे घर पर साथ रहो सब मिलकर।
जिसका कोई रूप नहीं मैं उसको शीश झुकाता हूं। जिसका कोई रूप नहीं मैं उसको शीश झुकाता हूं।