श्रीकृष्ण वंदना
श्रीकृष्ण वंदना
शीश झुकाकर चरणों में तुम्हारे वंदन बाके बिहारी
बार - बार मैं करू तुम्हारा अभिनन्दन ओ कृष्ण मुरारी
तेरी शरारतों ने जग को मोह लिया ओ नंद के लाला
तेरा हर पल मैं नाम जपु ओ कृष्णा ओ गोपाला
चेहरे पर तेरे तेज ऐसा की सूरज भी फीका लागे
जिसे तेरा दर्शन हो गया हो, वो और क्या कुछ मांगे
पूरी दुनिया दास तुम्हारी, हम चरणों में रहे तिहारे
मन की यही तमन्ना, आंखे पल पल तुझे निहारे
तेरा श्रृंगार किया किसने, ओ पीताम्बर धारण करने वाले
गोलोक से ही आते होंगे तुझे हर दिन सजाने वाले
सुध - बुध बिसरा जाता हर कोई, दुख सारे मिटे
जब इस संसार में माधव की बंस
ी बजे
राधा के संग आप रास रचाओ पूनम की रात मेंं
प्रेम ही प्रेम भरा होता आपके जज्बात मेंं
कोई गोविंद कहे, कोई माधव कहे और कोई कहे कन्हैया
कोई आपको लल्ला समझे, कोई सखा तो कोई भैया
जिससे आपकी तुलना करू, ऐसा कुछ नही त्रिलोक मेंं
कैसे समझू मैं आपको जब कोई समझ न सका योग से
कभी भगवान बनो तो कभी बालक की तरह सताते हो
अपने भक्तों को कर व्याकुल आप क्यो मुस्काते हो
दोनों हाथ जोड़कर मैं आपको नमन करूँ बारम्बार
मेंरे ऊपर कृपा बरसा देना ओ गोविंद सरकार
पूरी दुनिया खेलती है आपकी गोद में
व्याकुल हो जाते ऋषि मुनि भी आपके वियोग मेंं।