समय का सच
समय का सच
समय, जो तुझे हमेशा आगे बढ़ता दिखता है
ध्यान से देखना कभी, वो शायद आगे नहीं पीछे जा रहा है।
समय के साथ तू भी आगे बढ़ता आया है,
क्या सोचा है कभी, समय के साथ फिर पीछे कैसे जायेगा ?
एक बार पलट कर पीछे देखना उस समय को,
तब शायद ध्यान आये, वो आगे नहीं पीछे जा रहा था।
लगता है तुझे, धीरे-धीरे तू बढ़ता जा रहा है
पर ध्यान से देखना, शायद.. धीरे-धीरे तू घटता जा रहा है।
जिस मिट्टी का बना है तू, उस मिट्टी मे मिल जायेगा,
आगे बढ़ते-बढ़ते एक दिन मिट्टी ही हो जायेगा।
किसी और के लिए न सही, पर अपने ही लिए,
दो मिनट निकालना कभी इस समय लिए ।
जो आगे बढ़ रहा है, वो पीछे न छूट जाये,
जिंदगी की दौड़ मे, समय न रूठ जाये।
समय, जो तुझे हमेशा आगे बढ़ता दिखता है
ध्यान से देखना कभी, वो शायद आगे नहीं पीछे जा रहा है।
