ऐसा भी कभी होता है .......
ऐसा भी कभी होता है .......
ऐसा भी कभी होता है .......
दूर -दूर तक बूंदे गिरतीं ,
सावन की हरियालों में ,
मैं सूखी सी रह जाती हूँ ,
पतझड़ के पैमाने में ।
ऐसा भी कभी होता है .......
तड़प-तड़प कर बिजली गिरती ,
भरे जीवन को जलाती है ,
मैं तमस में रह जाती हूँ ,
चांदनी के बहकावे में ।
ऐसा भी कभी होता है ......
घोर -घोर बवंड़र चलते ,
उथल मचने दुनिया में ,
मैं गहराई में छिप जाती हूँ ,
डरकर सीपी के मन में ।
ऐसा भी कभी होता है ........
गर्जन कर उठती है लहरें,
भूचाल मचाने साहिल से ,
मैं माँझी से बिनती करती हूँ ,
न फेंके मुझे बड़वानल में।
ऐसा भी कभी होता है .......