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Neelam Sharma

Abstract

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Neelam Sharma

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प्यार

प्यार

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हे प्रेम, तू सप्तसुरी सरगम का राग है

हर प्रेमी के जीवन में, इन्द्रधनुषी फाग है

तू है माथे की बिन्दिया, तू अमर सुहाग है।


तू ही ताप है जीवन का, तू प्रेमी ह्रदय की आग है

कभी तू शौक है विरह का, कभी अनन्य अनुराग है

तू ही है कोयल और भँवरा, तू ही कुसुम पराग है।


तू कान्हा की मधुर बांसुरी, कभी मीरा का दाग है

कभी है तू किवदन्ति तो कभी प्रेमियों की लाग है

कभी प्रेम उजड़ा सा चमन, कभी हरा-भरा सा बाग़ है।


कभी तू संयोग है और कभी वियोग है

कभी सुखद भोग तू, कभी कठिन योग है

जीवन की संजीवनी तो कभी भयंकर रोग है।


कभी अचल अमोल अतुल्य, तू ही तो विराग है

कभी खास आकर्षण तू, कभी क्षणिक झाग है

कभी पतझड़ सा और कभी बसंती तड़ाग है।


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