हर वर्ष
हर वर्ष
लो टंग गया हर वर्ष की तरह
एक और नया वर्ष दीवार पर।
हर तारीख का जिक्र है।
हर माह में प्रवाह हो ।
बस यही एक फिक्र है।
मशरूफियत से बदहाल न हो।
हर पल लाजवाब हो।
बस इन्हीं बातों का तो जिक्र है।
इन्हीं बातों की ही फिक्र है।
लो टंग गया हर वर्ष की तरह
एक और नया वर्ष दीवार पर।
हर तारीख का जिक्र है।
हर माह में प्रवाह हो ।
बस यही एक फिक्र है।
मशरूफियत से बदहाल न हो।
हर पल लाजवाब हो।
बस इन्हीं बातों का तो जिक्र है।
इन्हीं बातों की ही फिक्र है।