हिन्दी नारे
हिन्दी नारे
हिन्दी नारे
पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण,
हर दिशा को साधती है।
एकता का पुल,
हिंदी ही तो बाँधती है।
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पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण,
हर दिशा को साधती है।
एकता का पुल,
हिंदी ही तो बाँधती है।
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हिंदी ने घर के मुखिया की भूमिका निभाई है।
कल थी हिंदी, आज है हिंदी, कल भी हिंदी।
यही प्रतिध्वनि बार-बार आई है।
धरा के कोने-कोने से आई है।
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