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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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हिन्दी नारे

हिन्दी नारे

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हिन्दी नारे पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण, हर दिशा को साधती है। एकता का पुल, हिंदी ही तो बाँधती है।
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पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण, हर दिशा को साधती है। एकता का पुल, हिंदी ही तो बाँधती है। -
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 हिंदी ने घर के मुखिया की भूमिका निभाई है। कल थी हिंदी, आज है हिंदी, कल भी हिंदी। यही प्रतिध्वनि बार-बार आई है। धरा के कोने-कोने से आई है। -----------


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