रिश्तों की कदर
रिश्तों की कदर


आज हमारे रिश्ते
प्यार के अभाव में
खोने के कगार पर है,
हम फायदा और नुकसान गिनकर
रिश्तों का निरादर करते,
पैसों की तराज़ू पर रिश्ते तोलते,
न जाने आधुनिक समाज में
अब ये कैसा रीत है!
पैसा कमाने हेतु समय है
पर रिश्तों को जोड़ने के लिए
समय का अभाव है,
रिश्तों में न है सच्चाई,
दिखाई देती है मिठास की कमी!
सोशल मीडिया पर ज्यादा समय देते,
असल जीवन में पास बैठने का समय नहीं!
रिश्तेदारों के बीच भी हम
ज्यादातर मोबाइल ही देखते,
न जाने क्यों मोबाइल प्रेम के चलते
रिश्तों को भूल बैठे हैं!