STORYMIRROR

Jina Sarma

Abstract

4  

Jina Sarma

Abstract

रिश्तों की कदर

रिश्तों की कदर

1 min
21


आज हमारे रिश्ते 

प्यार के अभाव में 

खोने के कगार पर है,

हम फायदा और नुकसान गिनकर

रिश्तों का निरादर करते,

पैसों की तराज़ू पर रिश्ते तोलते,

न जाने आधुनिक समाज में 

अब ये कैसा रीत है!

पैसा कमाने हेतु समय है 

पर रिश्तों को जोड़ने के लिए 

समय का अभाव है,

रिश्तों में न है सच्चाई,

दिखाई देती है मिठास की कमी!

सोशल मीडिया पर ज्यादा समय देते,

असल जीवन में पास बैठने का समय नहीं!

रिश्तेदारों के बीच भी हम

ज्यादातर मोबाइल ही देखते,

न जाने क्यों मोबाइल प्रेम के चलते

रिश्तों को भूल बैठे हैं!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract