वक़्त
वक़्त
दरम्यान मेरे और वक्त के
एक जबरदस्त फासला रहा..
अचानक एक दिन वक्त से मुलाकात हो गई,
पहले सोचा जो दिल में है बयां कर दूँ,
फिर सोचा नहीं, आज रूबरू होने का मौका मिला है
हर सवाल का जवाब लेकर ही रहेंगे..
मैनें पूछा,
"यार क्यों करते हो तुम मेरे साथ ऐसा,
मैं जब भी सोचती हूँ कि देख ली
मैंने बहुत सी परेशानियां,
अब तो जिन्दगी में कुछ तो सुकून के पल आयेंगे ही,
लेकिन न जाने क्यूँ तू अगले पल ही
मेरे लिए कोई बड़ी-सी परेशानी लेकर खड़ा होता है,
यार सबकी जिन्दगी में तो अच्छा
वक्त आता है,
एक बात बताओ मेरा कब आयेगा "
वक्त बोला-
"देखो तुम मुझे कुसूरवार ठहराते जरूर हो
लेकिन मेरा कुसूर है कहाँ
ये तुम जरा बताना,
मेरे खुदा ने मेरे लिए कुछ
उसूल बनाये हैं मैं उन्हीं पर चलता हूँ,
उसूल तो अलबत्ता तुम्हारे लिए भी हैं
लेकिन आदमखोर हर चीज के
साथ छेड़खानी करते हो,
हर वक्त और हर जगह अपनी
मनमानी करते हो,
इन्ही सब को देखते हुए
खुदा ने मुझे हुकुम दिया,
कि जो जैसा करता तुम भी उसके साथ
ठीक वैसा ही सुलूक करो,
अब मेरा क्या मैं तो खुदा के
हुकुम का पाबन्द हूँ
तो सुनो,
जब तुम मुझे बरबाद करते हो तो
मैं भी तुम्हें बरबाद करने में
कोई कोर-कसर नहीं छोड़ता,
जब तुम मुझे इबादत में लगाते हो तो
मैं तुम्हें खुदा से मिलाने की कोशिश करता हूँ,
जब तुम मुझे अच्छे कामों में लगाते हो तो
मैं तुम्हें खुशहाली देता हूँ,
तुम्हारे परिवार में रौनक भर देता हूँ,
जब तुम मेरे साथ मनमानी करते हो तो
तुम मेरी मनमानी झेल नहीं पाते हो,
अब सुनो, मेरी तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है
तुम खुद को सुधार लो,
फिर तुम खुद-ब-खुद महसूस करोगे
कि तुम्हारा वक्त भी सुधर गया है
तुम्हें मुझसे कोई शिकायत न रहेंगी
और यकीनन तुम्हारी और मेरी
बेहद खूबसूरत-सी यारी होगी..!
