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Indu Tiwarii

Romance Tragedy

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Indu Tiwarii

Romance Tragedy

सुनो न

सुनो न

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सुनो, गढ़ती रहती हूं हमदम सपने,


कभी बहुत भयावह तो 

कभी महज अपने,


खो जाती हूँ तुम्हारे ख्यालों में,


जैसे बादल चाँद को अपने 

आगोश में समेट के बैठ जाता है,


कभी याद आती है तेरे संग 

बिताए वो हसीन लम्हे,


जिनमें तुम सिर्फ मेरे थे..

 

तो कभी तस्वीर उस ख्यालों 

से जा टकराती है,


जब कुछ भी टूटने जैसा नहीं था,


फिर भी समय हथेली से 

रेत की तरह फिसल गया..


सोचने में फिर भी बहुत वक़्त लगता है 

कि आखिर ऐसा क्या हुआ,


क्यों हुआ,


लेकिन हो गया..


यकीन करने से भी यकीन नहीं होता,


कई बार लगता है कि 

कुछ साल तक एक सुंदर सपना देख रही थी,


कई बार लगता है कि 

वो दिवास्वप्न था,


जैसी ही आंख खुली कुछ भी पास नहीं था

महज दिमाग का भरम था..!!



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