मित्रता में जब तक विचारों का मेल नहीं होगा तब तक मित्रता बैसखियों पर रेंगती चलती रहेगी। मित्रता में जब तक विचारों का मेल नहीं होगा तब तक मित्रता बैसखियों पर रेंगती चलती...
फिर से उलझ कर रह गया है मन क्यूँ, कहाँ, कैसे... जैसे न जाने कितने ही प्रश्नों से अंर्तद्वंद में लगा ... फिर से उलझ कर रह गया है मन क्यूँ, कहाँ, कैसे... जैसे न जाने कितने ही प्रश्नों से...
क्या ऐसे ही चप्पल और प्लेन एक हो जाते हैं क्या ऐसे ही अच्छे दिन आ जाते हैं? क्या ऐसे ही चप्पल और प्लेन एक हो जाते हैं क्या ऐसे ही अच्छे दिन आ जाते हैं?