जिंदादिल
जिंदादिल
सुनो,
हमेशा पूछते हो न
कि कुछ भी हो, कैसा भी मौका हो,
मैं खुश कैसे रह लेती हूं,
मैं हंसती कैसे रहती हूं,
मुझे कभी कोई बात परेशान क्यों नहीं करती,
मैं उदास क्यों नहीं होती,
झुंझलाहट दिखा कर चीजों को
इधर उधर क्यों नहीं फेंकती,
बात बात पर चिड़चिड़ी क्यों नहीं होती,
वक़्त कोई भी हो, कैसा भी हो
सब से खुशी से मिलना,
सब पर अपनी जान न्योछावर करना,
हर किसी की छोटी से छोटी बात पूरी करना,
बच्चों में बच्चा बनना,
और बड़ो के आदर सम्मान में कोई कमी न रखना,
साथ वालों के साथ हमउम्र,
हमजोली, हमसफ़र, हमराह
बन कर मुस्कराना,
बच्चों की जायज जिद्द पू
री करना,
और नाजायज बात के लिए उन्हें
प्यार से समझा कर मना कर देना,
कहाँ से लाती हो यार इतना पेशेंस
तो सुनो..
मैं न..
कल हो न हो में परम् विश्वास रखती हूं,
जो पल मेरे सामने है उसे भरपूर जीती हूँ,
वक़्त से एक-एक पल,
एक-एक लम्हा खूबसूरती से चुराती हूँ,
और सहेज लेती हूं अपने आँचल में..
जिंदगी बहुत छोटी है यार,
जी लो इसका एक-एक लम्हा,
समेट लो इसको अपने अंदर..
छोटी से छोटी खुशी को ऐसे जीती हूं
जैसे कल हो न हो..
मेरी गैरमौजूदगी में भी लोग कहें
क्या जिंदादिल इंसान थी,
जाना तो सबको होता है वो भी गई
लेकिन जिंदादिली की मिसाल बनके गई..