बदमिजाज
बदमिजाज
होती हैं कुछ औरतें
बहुत ही बदमिजाज
नहीं बनती कहीं भी
उनकी किसी से
जानती भी कुछ हैं नहीं,
और मानती भी किसी की हैं नहीं,
रहती हैं सदा सबसे खफा
ज्यादातर समय रहती हैं
खुद से भी अनमनी,
बेईमानी की हर पराकाष्ठा
को कर जाती हैं पार
करती रहती है ईमानदारी
का ढकोसला
मतलब के लिए तो मिश्री सी
मिठास घोल देती हैं
काम निकलते ही दूध में गिरी
मक्खी-सा निकाल फेकतीं हैं,
घरवाले, बाहर वाले
अड़ोसी पड़ोसी तक सब
हो चुके होते हैं जिनसे परेशान,
नहीं पसंद करता है इनको कोई
दूर का हो या हो पास का मेहमान,
होती हैं कुछ औरतें
बहुत ही बदमिजाज..
