शहीदो को नमन
शहीदो को नमन
अमर शहीद जवानो को शत शत नमन करते है ।
आज़ादी के योद्धाओ को हम सब शीश नमाते है ।
अंग्रेजो की रही ग़ुलामी उसकी ये कहानी है ।
आज़ादी को पाने की महारानी लक्ष्मीबाई ने
सबसे पहले अंग्रेजो से अकेले लड़ी लड़ाई थी ।
पेशवा घर में जन्मी थी महालक्ष्मी बाई थी
होश संभाला था जबसे बस आज़ादी की ठानी थी ।
पढ़ने के ही साथ मे उसने युद्ध कला भी सीखी थी ।
तलवार बाजी की कला सीखकर
अंग्रेजो के साथ युद्ध की मन में ठानी थी।
स्वराज आंदोलन करने की सबने मन मे ठानी थी ।
आज़ादी की महायोद्धा महारानी लक्ष्मीबाई थी।
गंगाधर राव पति थे झाँसी के वो राजा थे
राजा रानी ने मिलकर अंग्रेजो से लड़ी लड़ाई थी ।
ग़लतफ़हमी के कारण ही राजा ने
रानी को महल से निकाला था।
फिर भी रानी ने हिम्मत से से है काम लिया।
महिलाओ को युद्ध प्रशिक्षण देकर युद्ध कला सिखलाई
राजा का शक दूर हुआ रानी को अपनाया था।
खोया हुआ मनोबल राजा ने फिर पाया था ।
पर दुर्भाग्य ने साथ न छोड़ा अंग्रेजो से
लड़ते लड़ते राजा ने वीर गति पाई थी ।
रानी पड़ी अकेली फिर भी हिम्मत नहीं हारी थी ।
अंग्रेजो से लड़ते लड़ते स्वयं ही
जान गवाई थी, मरते मरते
आज़ादी की जो मशाल जलाई थी।
चन्द्रशेखर राजगुरू, भगतसिंह ने जलाई थी ।
सुभाषचन्द्र बोस ने इसको आगे और बढाया था ।
गांधी के स्वराज आंदोलन से आज़ादी सबने पाई थी
15 अगस्त 1947 को देश मे आज़ादी पाई थी ।
वीर शहीदो के बलिदान से देश मे आजादी पाई थी ।