बनना है मुझे आदर्श मिसाल नए आग़ाज़ की। बनना है मुझे आदर्श मिसाल नए आग़ाज़ की।
यह कविता शहीदो को सलामी दे रही है। यह कविता शहीदो को सलामी दे रही है।
चोट लगने से उनका ही देहान्त हुआ। चोट लगने से उनका ही देहान्त हुआ।
खामोशी है साज़ है मुझे जंगल होने पर नाज़ है। खामोशी है साज़ है मुझे जंगल होने पर नाज़ है।
कौन कहता है कि हम लिखते हैं ? बस यूंही अपना दिल बहला लेते हैं। कौन कहता है कि हम लिखते हैं ? बस यूंही अपना दिल बहला लेते हैं।
2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर गुजरात में। जन्म हुआ मोहन का गुजराती परिवार में।। 2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर गुजरात में। जन्म हुआ मोहन का गुजराती परिवार में।।