जंगल हूँ मैं
जंगल हूँ मैं
घना है
अंधेरा है
छनकर शाखों से
आता सवेरा है।
आज़ादी है
आवाज़ है
मुझमें फैला
स्वराज है।
हलचल है
हुड़दंग है
हरियाली में
खुशहाली
का रंग है।
नियम है
कानून है
मुझमें आज़ादी
भरा सुकून है।
ना छल
ना कपट है
सबकी पहचान
यहाँ अमिट है।
खामोशी है
साज़ है
मुझे जंगल होने
पर नाज़ है।
