हिंदी मेरी माँ जैसी है
हिंदी मेरी माँ जैसी है
मेरा तोतलापन माँ शब्द कहते ही दूर हो गया
मेरी हिचकिचाहट जय हिन्द के नारों में छुप गया।
मेरा हर डर इंकलाब जिंदाबाद कहते ही दूर हो गया
मेरे मस्तक पर गर्व वन्दे मातरम कहते ही छा गया।
तिरंगे के रंगों ने त्याग, बलिदान सादगी और प्रकृति से
परिचय दे मुझे इनके करीब बेहद करीब पहुँचा दिया ।
जिस ओर भी मैं चला, जिधर भी मैं मुड़ा इस देश में
हर जगह मिले मुझे दोस्त, मिला बहुत अपनापन।
मीठी बातों में घुला बस प्यार ही प्यार और स्नेह भरपूर
त्योहारों की धूम में संगीत मधुर मन को लुभाता है।
सभी सगे लगते हैं, लगते हैं सभी अपने यहाँ हर तरफ
मेरी माँ जैसी हिंदी ने बनाया है मेरा जीवन इतना आसाँ।
