यात्रा दोहा
यात्रा दोहा
यात्रा में मैं अब चला, ले कर सभी समान।
सुखद सवारी रेल है, बहुत जरूरी काम।।
तैयारी कर कर सभी, मन में है अति हर्ष।
मधुर मिलन की आस है, करे सदा आकर्ष।।
स्टेशन पर गाड़ी रुकी, लगी हुई है भूख।
खाया रोटी दाल को, गायब मन से सूख।।
धीरे धीरे गाड़ी बढ़ी, मन में है अति चाव।
दृश्य सभी से हो खुशी, गम का है अभाव।।
अगल बगल शुभ लोग हैं, करें मग्न में बात।
मैं भी खुश हूं बात कर, होने को अब रात।।