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Mani Aggarwal

Inspirational

4.8  

Mani Aggarwal

Inspirational

आज स्वयं इतिहास लिखूँ मैं

आज स्वयं इतिहास लिखूँ मैं

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आज स्वयं इतिहास लिखूँ मैं

त्याग निराशा, आस लिखूँ मैं

प्रेम के आगे नतमस्तक हो

प्राप्त घृणा का व्यास लिखूँ मैं

आज स्वयं इतिहास लिखूँ मैं


आज लिखूँ उद्वेग हृदय के

मौन को दे आवाज़ लिखूँ मैं

आँसू रख ख़ुशियों के हिस्से

अंतर्मन की प्यास लिखूँ मैं

आज स्वयं इतिहास लिखूँ मैं


बहुत हो चुका डर कर जीना

घुट-घुट,छुप-छुप आँसू पीना

हृदय सबलता वेग समा कर

अब आत्म विन्यास लिखूँ मैं

आज स्वयं इतिहास लिखूँ मैं


जब से ख़ुशियों को जकड़ा है

ग़म कुछ चिढ़ कर दूर खड़ा है

मूर्ख समझने वालों पर अब

थोड़ा तो परिहास लिखूँ मैं

आज स्वयं इतिहास लिखूँ मैं


तुमने बहुत डराया मुझको

अबला जान सताया मुझको

अपनी शक्ति का प्रमाण दे

तब डर का अहसास लिखूँ मैं

आज स्वयं इतिहास लिखूँ मैं


प्रेम समर्पित त्याग करूँगी

खोखले पर न राग सुनूँगी

मोड़ सभी पतझड़ की राहें

मधुरिम सा मधुमास लिखूँ मैं

आज स्वयं इतिहास लिखूँ मैं




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