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Dr. Akansha Rupa chachra

Inspirational

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Dr. Akansha Rupa chachra

Inspirational

रिश्ते मे मौन

रिश्ते मे मौन

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रिश्तों में मौन

ना जाने ये कैसा समय आया है,

हर तरफ़ मौन छाया है।


गुस्सा दिखाते तो शायद ठीक रहता,

क्यों सब ने मनुहार दिल में छिपाया है।


प्यार जिस आँगन में पलता था,

संग एक दूजे के बिन न चलता था।


रूठने मनाने का दौर नज़र नहीं आता,

क्यों दिल में हसरतों को तूने दबाया है।


माँ बाबूजी ने जो कभी देखे थे सपने,

मिलजुल रहें सब मेरे अपने।


नफ़रतों के अंकुर क्यों हैं पाले तुमने,

प्यार के गुलाब कहाँ छिपा आया है।


न ऐंठ थी, न गुरुर था,

तब रिश्तों में बड़प्पन जरूर था।


एक कमरे में पूरा घर समाया करता था,

अब क्यों तेरे बंगले में सूनापन छाया है।


साथ बैठ मूंगफली भी कभी भाती थी,

क्यों अब मेवा न तेरे मन को भाया है।


क्यों तुमने खुद को पहचाना नहीं,

क्यों गैरों का आवरण चढ़ाया है।


चल बिसार दें सारी कडवीं बातें अब,

यह पल रिश्तों को जोड़ने का आया है।


तोड़कर रिश्तों में ये मौन, 

खुशियों से भर दें अपना घर,

लगे मेला दिलों का आया है।



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