भविष्य
भविष्य
देखें है कुछ चेहरे, खिले, मुरझाये से
कुछ अनकहे, अनसुने, अनजाने से
जिनका दिन धरा की चादर, रात है, रैन बसेरे में
जिनमें इच्छा शक्ति भरपूर, किंतु साधन सीमित है जीवन में
ईश्वर ने नहीं किया भेदभाव,, फिर कैसा ये अभाव
ये प्रशन दिन रात सता रहा••बदल रहा मेरा स्वभाव
कहीं से की छोटी सी पहल..
प्रारंभ हुआ प्रयास.. उन चेहरों पर मुस्कान लौटाने का
उनहे मूल अधिकार दिलाने का, ज्ञान की जयोति जलाने का
पूरी निषठा से ये जिम्मेदारी उठाने का लिया प्रण
अपनी सोच को दिया आकार, समर्पित किया मन
पथ पर मिले साथी, खुल गये सब द्वार
जुड- जुड कर, कारवां बना विशाल
कर रहे हैं कोशिश मिल कर
समाज का हर वर्ग बने समान
प्रगतिशील भारत का हर जन हो समान
हर रूप से बने मेरे देश का •••
" भविष्य महान।"
