बनस्थली
बनस्थली
बनस्थली.. बनस्थली... बनस्थली..
अजीब सी कोफ्त होती थी ये नाम सुनकर,
पहले दिन मेरी यही हालत थी
लेकिन..
आज जाना है यहाँ से तो मन कहता है
यही है तेरी,
मनस्थली.. मनस्थली.. मनस्थली..
साफ, स्वच्छ, निर्मल वातावरण
और अनुशासित अनुशासन
जीवन जीने की प्रेरणा,
जैसे ही प्रवेश द्वार में प्रवेश किया
भव्य विशाल मनोहारी स्थान,
जिसमें अति सुन्दर सुसज्जित विशाल भवन जिसे सब
अलग-अलग नाम से मन्दिर कहते हैं,
कहते ही नहीं हैं अपितु ये मन्दिर का पर्याय भी हैं..
मन्दिर में ईश्वर की मूर्ति होती है
जिसके सामने जाकर हम अपने मन के भाव रख देते हैं,
यहाँ के भी हर मन्दिर में अलग- अलग ईश्वर रूप में
हमारे गुरुजन हैं,
जो अपने ज्ञान और आशीष वचनों से हमारे जीवन का
उद्धार करते हैं..
जब हम आये थे पत्थर थे
हीरा बनाया उन शिल्पियों ने हमें तराश कर..
वार्डन ये एक ऐसा शब्द
जिसे सुनकर अन्दर तक रूह काँप जाए
लेकिन यहाँ आकर जाना,
हर हॉस्टल का नाम निकेतन पर खत्म होता है
जिसका शाब्दिक अर्थ होता है घर,
और इस होस्टल रूपी घर को सम्भालने वाली
ममतामयी मूरत जीजी,
जीजी हमें बड़े ही प्यार से खाना खिलाती है
घर की याद आने पर प्यार से दुलारती हैं
अच्छे-बुरे में भेद करना बताती है..
इस तरह से बना है ये बनस्थली,
मेरा मनस्थली..
