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सतीश शेखर श्रीवास्तव “परिमल”

Inspirational

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सतीश शेखर श्रीवास्तव “परिमल”

Inspirational

हर दिल ने पुकारा था

हर दिल ने पुकारा था

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हर दिल ने पुकारा था

घर-घर ने पुकारा था

अब फिरंगी की जुल्म न सहेंगे

अपने वतन को अहले चमन को

आज़ाद आज़ाद हम कर जायेगें


उठाओ जंग-ए-आजादी का झंडा उठाओ

भगवा पीला लाल फहरावो

शत्रु घुसा घर आँगन में

उसे सरजमीं से भगावो

उठाओ जंग-ए-आजादी का झंडा उठाओ……


हम स्वतंत्रता के मतवाले

बाँधे कफ़न हम ज़ियाले

कूद पड़े हैं हम अंगारों पर

प्राणों को रख किनारे

बुलंद करते हैं हम सब सारे

उठाओ जंग-ए-आजादी का झंडा उठाओ……


यह भारत देश हमारा है

पूरब पच्छिम उत्तर दक्खिन 

हम काले हम गोरे

इस देश के रहने वाले हैं

हम गोरखा हम पंजाबी

इस देश पे मर मिटने वाले हैं

आवाज़ उठा कर कहते हैं

उठाओ जंग-ए-आजादी का झंडा उठाओ……


हम सिपाही हम ही सैनिक

आजाद हिंद फौज के मतवाले

आजाद भगत बिस्मिल हम हैं


लेखा दुर्गा सहगल लक्ष्मी

यामा पद्मा हज़रत रूपकुँवर

धारे परचम क्राँति बिगुल के

हम ज़ियाले हम मतवाले

भगवा पीला लाल सर पर डाले

उठाओ जंग-ए-आजादी का झंडा उठाओ……


वो जंग ही क्या जिसमें 

अमन की चाह न हो

दुश्मन जिसमें नाराज़ न हो

वह दुनियां दुनियां क्या होगी

जिस दुनियां में स्वराज की चाह न हो


वह आज़ादी आज़ादी क्या

जिसमें मजदूरों का राज न हो

ये युद्ध है ये जंग है

अपनी जमीं की परवाह हमें

मर मिट जायेगें

कहते कहते कह जायेंगे

उठाओ जंग-ए-आजादी का झंडा उठाओ……


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