पिता
पिता
हर पिता होता है अपने बच्चों के लिए आदर्श l
क्योंकि वह करता है अपने बच्चों के लिए संघर्ष l
करता है कठिन परिश्रम वह दिन रात l
बच्चों के भविष्य की चिंता सताती है उसे दिन रात l
अपने अरमानों को भूल बच्चों की ख्वाहिश करते पूरी l
अपनी खुद की चाहत छोड़ देते हैं अधूरी l
बच्चों की मुस्कुराहट देख मुस्कुरा लेते हैं वे l
अपना दर्द बच्चों से कितनी सफाई से छुपा लेते हैं वे l
बच्चों की जरूरतें पूरी करते अपनी जरूरत भूल जाते हैं l
वही बच्चे अपनी जरूरत पूरी करने उनसे दूर चले जाते हैं l
पिता वह इमारत हैं जो जर्जर होकर भी बच्चों को सुरक्षा देते हैं l
सारी मुश्किलें खुद सह लेते किसी पर आंच नहीं आने देते हैं l
गर्मी धूप बरसात सबकी मार अकेले सहते रहते हैं l
अमीर गरीब जैसे भी हो बच्चों के लिए आदर्श पिता होते हैं l
पिता तो बस प्यार और सम्मान के लायक होते हैं l
अपनी सेवा से जीत लो मन सेवा के हकदार होते हैं l
पितृ ऋण है भारी ऋण इसे चुका ना पाओगे l
जन्म दिया हमें धरा पर लाए यह हमारे जनक हैं l
पिता सदा पितृ देवो भवह के परिचायक है l