फासले
फासले
बड़े फासले देखें है जिंदगी में,
बहुत हुक्मराने देखे है जिंदगी में।
पुराने कोट की तुरपाई उधड़ भी जाए तो क्या,
गर्मी के ठिकाने देखे है जिंदगी में।
दिशा बदलते बदलती है जिंदगी,
यूं ही टहलते टहलते चलती है जिंदगी।
तुम जो चलते रहे दुआओं के साथ में,
बफा आजमाते हुए दोस्त देखे हैं जिंदगी में।
तुम संभल कर चलते हो तो निगाहें टिक जाती है,
बेतहाशा दौड़ने वालों का दीदार नहीं होता।
बेवजह ही बदनाम है अंगूर की बेटी,
बिन पिए वहकने वाले लोग देखे हैं जिंदगी में।
वे जीत का जश्न मनाते हैं तो क्या,
दंभ पर अपने इतराते हैं तो क्या।
जंग में हार कर इवाद्त लिखने वाले लोग
देखे हैं जिंदगी में।
बडी महफूज थी बिटिया बाबुल की कलाई में,
आंख मूंद सोती थी वात्सल्य की तराई में।
बदलते मौसम ने यह क्या कर दिया,
बिटिया के पग में पगड़ी रख रोते हुए
बाबुल देखे है जिंदगी में।
यह मुनासिव नही है नीरज,
की कोई दरिया पार ना हो।
जख्म ए दर्द गुनाहों का इकरार न हो,
चंद अल्फाजों से रास्ता बदलते समुंदर
देखे है जिंदगी में।