सब्र
सब्र
घबराना नहीं झुक जाना नहीं , हार कर बैठ जाना नहीं,
आगे कदम बढ़ाते जाना , पीछे कभी हटाना नहीं ।
काम करो सब हंसते-गाते , सारी मुश्किलें आसान हो जाते,
अच्छे बच्चे सदा सच कहते , झूठ को कभी ना वो अपनाते ।
सदा सपने देखो सुहाने तुम, मेहनत के बनो दीवाने तुम,
खेल-कूद खूब करो, मगर पढ़ाई से भागने के ना करो बहाने तुम।
नहीं आए प्रथम तो क्या, द्वितीया , तृतीया भी कोई कम नहीं,
ग़र नहीं होते उत्तीर्ण तुम , तो भी मानो ग़म नहीं।
सजल बनो, सजग बनो, नभ में कीर्ति अपनी फहराओ तुम।
इतने ऊंचे उठ जाओ पेड़ों के जैसा हवा में लहराओ तुम।
मीठा बोलो कोयल सा , धरती सा तुम जिगर रखो,
ना मिले कभी कामयाबी तो फिर से संघर्ष करो और थोड़ा सब्र रखो ।
