ससुराल गेंदा फूल
ससुराल गेंदा फूल
बैठ के जब डोली में चली,
माॅं ने दी शिक्षा की डली,
बेटी हमारी इज़्ज़त रखना,
एकसूत्र में सबको बांधे रखना,
देवर-ननद, जेठ-जेठानी,
ससुर जी और सासु रानी,
सबका अलग स्वभाव मिलेगा,
अजब सा तुझको वो फूल लगेगा,
उस फूल की हर इक पत्ती
अलग-अलग तुम्हें दिखेगी,
लेकिन उन पत्तियों को जोड़कर
रखने में तुम्हारी समझदारी दिखेंगी,
एक-एक पत्ती को संभाल
कर के छूना होगा,
टूटे न, मुरझाए न ताज़ा उनको रखना होगा,
जोड़कर उन सब पतियों को
नया फूल बनाना होगा,
अनेकों पतियों से ही बनता है
जैसे फूल गेंदें का,
उसी तरह से तुम्हें भी जोड़ ससुराल के परिवार को,
ईजाद करना है एक नया फूल गेंदें का,
सुनकर शिक्षा मां की
बेटी अमल उस पर लाती है,
जोड़कर परिवारिक पत्तियों को
बना कर ससुराल को फूल गेंदें
का सुघड़ बहू कहलाती है।