तुम्हारी अदरक वाली चाय
तुम्हारी अदरक वाली चाय
मैं वो अदरक वाली चाय तो हूँ नहीं
जिसकी खुशबू के बिना
इन सर्दियों में कोई रह पाएगा।।
मैं वो सुबह का अख़बार भी तो हूँ नहीं
जिसे देखे बिना ये दिन भी गुज़र ना पाएगा।।
मैं वो दोपहर वाली गुनगुनाती धूप भी नहीं
जिसके होने से हर किसी के चेहरे पर
कुछ पल का ही सही मगर सुकूँ तो ठहर पाएगा।।
मैं वो चाँदनी भी तो हूँ नहीं, जिसके
लिए वो खिड़की के कोने पर खड़ा हो जाएगा।।
मैं वो आदत तो हूँ नहीं, जिसके ना होने से
किसी का दिन, इन्तज़ार में ना कट पाएगा।।
मैं वो चाहत भी तो हूँ नहीं, जिसके
एहसास में एक पल भी रहा ना जाएगा।।
मैं वो तुम्हारी अदरक वाली चाय तो हूँ नहीं...!