जन्म संघर्ष
जन्म संघर्ष
तुम सुनहरी धूप से जन्मीं हुई सोना हो
सोना गहरा सुनहरा और शुद्ध हो
जिसे जलाया
और जलाया जाता है
बार बार जलाया जाता है
किसी सुबह तुम भी सुनहरे की चरम पर होगी
तब सिर्फ तुम्हे चूमा जाएगा
कठोर है सारा जहां तुम जान लो
ये जलाता है फिर लजाता है
क्योंकि तुम सुनहरी धूप से जन्मीं हुई सोना हों।