Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Babita Consul

Abstract

5.0  

Babita Consul

Abstract

ज़िन्दगी खेल नहीं

ज़िन्दगी खेल नहीं

1 min
398


ज़िन्दगी खेल नहीं 

इसमें सपनें पलते हैं 

हकीकत कुछ और बयां करती है

भावनाओं ,एहसासों से जुझते 

सोचते ,सोचते काश ऐसा होता 

बचपन ,जवानी ,से गुजरते बुढ़ापा आ घेरता है


ऐ ज़िन्दगी तेरे फ़लसफ़ा रंग बदलते हरदम 

नहीं तुमसे कोई शिकवा ख़ुद से ख़फ़ा हूँ मैं

ना की तेरी मनमानियो में ख़्वाहिशों को जला दिया

कभी तो ख़्वाहिशों में मेरी भी रंग भर कर चल


माना की एहसासों की कोई क़दर नहीं तुझे

कभी तो मेरे अहसासों का सवाद चख कर चल

माना की खुशियों की डोर से उलझी हुई है तू

कभी तो मेरी ख़ुशी की डोर को भी सुलझा कर चल


माना धीमी नहीं तेज़ रफ़्तार है तेरी

कभी तो मेरी भी हम क़दम बन कर चल

माना की वक़्त की रफ़्तार से चलते जाना तुझे

कभी तो मेरे संग भी वक़्त को थामे चल


माना रंग बदलती है हरदम अपनी सुनाती है

अपनी ही सुनाती रहेगी हरदम कभी मेरी भी सुनके चल

थक गयी हूँ तेरी जद्दोजहद से ऐ ज़िन्दगी

कभी तो मुनासिब मेरा हिसाब करके चल।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract