शीर्षक होली के रंग
शीर्षक होली के रंग
फागुन में होली के रंग
कन्हैया के संग
उठी मन में तरंग
राधा प्रीत रंग
चुनरी भीगे सतरंग
श्याम के रंग में रंग
कान्हा, राधा भीगे
प्रेम के रंग में संग।
ढोल बाजे बाजे मृदंग।
आई फागुन रूत
गुलमोहर महक ,
देते ताली पात
सतरंगी चुनर सजी
पवन झकोरे ले रही
अमवा की डाली सजी
मंजरी ने खोली पलकें
पुष्प -पुष्प मुस्कराएं
महक महक पुष्प गये
अली मदमस्त डोले पात -पात
कोयल गाये गीत
खुशबु सी देह हुई
मन हुए गुलाल
जोगिया सारारारारा...........
फागुन के रंग बिखरे
गली गली चौपाल
वृंदावन की कुंज गली में
होली रंग में रंगें गोपी, ग्वाल
मतवाले हो नाचें दे ताली
जोगिया सारारारा..........
भर पिचकारी कान्हा मारी
भीगी राधा प्यारी
मुस्काये कान्हा दे ताली
जोगिया सारारारा.........
श्याम रंग में रंग कर राधा
भूली सुध-बुध सारी ......
कान्हा बसे हिय में
अब ना चाहत कोई
जोगिया सारारारा...........।
फागुन में बिखरें रंग कुंज गली
ढोल बाजे गुंजे गीत
बरसे प्रेम रंग
झलकें प्रीत रंग ....
जोगिया सारारारा .........।
होली है ............।
...होली के रंगों भरी
शुभकामनाएं