फटी जेब
फटी जेब
एक मां जो अपने बच्चे को
भूख से मरता देख कर बचा ना सकी।
ग़रीबी सबसे बड़ी लाचारी है।
भूख इन्सान से कभी कभी
बहुत ग़लत काम भी करने को मजबूर करती है।
आज फिर जिन्दगी भूख से हारी है..
गरीबी भुख की यही कहानी है।
आज बचपन पर पड़ी भुख भारी है,
सिसक रही है माँ ओढ फटी ओढनी...
कोई तो करो दया ये भी, प्रभु की देन...।
ठोकर ना मारो.. भूखा गया ये
इन्सानों में ये भी किसी चमन का फूल था,
बह रही अश्रुधार रूध गयी आवाज,
निवाला नही दिया...
कफन तो उडा दो...।
रो रहा है आसमान, रो रही है ये धरा...
आज फिर जिन्दगी भूख से हारी है...
सुलग रही है धरा, रोशनी सुरज की धुधंला रही है...
बह रही माॅं के दिल की दर्द भरी चित्कार...
आज फिर जिन्दगी भूख से हारी है...
खो गयी इन्सानियत.. झुठला गयी है रिश्ते सब...
भूख इन्सानियत, फर्ज, प्रेम पर भारी है...
आज देखो जिन्दगी भूख से हारी है।