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Ajay Prasad

Abstract

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Ajay Prasad

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तू बता

तू बता

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मैं तो गया गुजरा ठहरा, तू बता

हाशिये पे हरदम ही रहा, तू बता।

थी हैसियत नहीं की बात रखता

उपर से हुजूर भी खफा, तू बता।


न दवा, न दुआ, न कोई उम्मीद की

हस्र मुझे था पहले पता, तू बता।

अपने लिए तो मय्य्सर ही न हूई

चाहत दोस्ती और वफा, तू बता।


तारीफ़ न सही तनक़ीद तो कर

आखिर हूँ मैं सबसे जुदा, तू बता

मौत मुस्कुराती है हालात पे मेरी

ज़िन्दगी बन गई है सज़ा, तू बता।


न रहम, न करम वक्त भी बेरहम

फेर लिया है मुहँ भी खुदा, तू बता।

छपना, पढ़ना, रद्दी के भाव बिकना

आखिर तो होना है फना तू बता।


तेरी हस्ती से मुझे कोई गुरेज़ नहींं

फ़िर अजय से क्यों चिढ़ा, तू बता।


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