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S N Sharma

Abstract

4  

S N Sharma

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हे नाथ मेरे।

हे नाथ मेरे।

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हे विघ्नहर्ता हे नाथ मेरे 

शरण तुम्हारी तुम्हारी में आ गए हैं

हुई है जब से कृपा तुम्हारी 

सभी सुखों को हम पा गए हैं।

तुम्हारा मंदिर तुम्हारी पूजा 

भजन तुम्हारे सुहाने लगते।

सजे हुए दरबार तुम्हारे  

सभी के मन को लुभा रहे है ।

गणपति नंदन हे जग वंदन 

प्रथम तुम्हारी करे हैं पूजा।

तुम्हारे चरणों में सर झुका के

 सफल जिंदगी बना रहे हैं।

अष्टविनायक पार्वती नंदन 

पधारे तुम तो घर है रोशन।

तुम्हारे दर्शन तुम्हारी सेवा

 तुम्हारी आशीषें पा रहे हैं।



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