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S N Sharma

Abstract Romance Classics

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S N Sharma

Abstract Romance Classics

गजल

गजल

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गीत गाती हुई इन वादियों, हवाओ में।
 नाम तेरा ही तो गूंजे मेरी सदाओं में।

 झीलों की लहरों की सरगम से सजी।
   ठंड सी घुल रही है इन फिजाओं में ।

बादलों में सजी सूरत तेरी नजर आती।
 रूप की देवी हो जैसे की अप्सराओं में।

   नाम तेरा जो लूं तो दिल को चैन आए।
 कि जैसे रब को पुकारे कोई दुआओं में।

 तुम्हारे नाम को कैसे मैं जाहिर कर दूं।
 इश्क बदनाम न हो दुनिया की निगाहों में।
 शिवा भोपाल    


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