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Awantika Bhatt

Abstract

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Awantika Bhatt

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बातें चाँद से

बातें चाँद से

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 अंधरे आसमां में फिर चमकता हुआ आया है ये चाँद.. 

बादलों के पीछे से न जाने किसे ताकने आया है ये चाँद.. 

बोला चाँद ने... 


न जाने क्यों कहे जमाना कि मैं मुस्कुरा रहा. 

क्या जानो तुम मैं अपना गम छुपा रहा. 

भले मै तमस व्योम का मिटा रहा. 

परंतु इस अनन्त में एकाकी फिर बना रहा. 

शांत हूँ मै मौन हूँ मैं. 

न जानूँ खुद कौन हूँ मैं. 


   न जाने इस धरा के लोगों ने क्या देखा मुझमें. 

   निशा में अंधकार चित्र मोती से बिका. 

   कभी तो समझो पीड़ा मेरी... 

   क्या पता मुस्कुराकर मैं अपने आँसू छुपा रहा.. 

 सोचना जरा क्यों ढूंढे मुझमें खुशी तेरी

मैं तो निर्जीव हूँ ये तुझे बुला रहा.... 


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