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Ajay Prasad

Drama

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Ajay Prasad

Drama

नियत

नियत

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जैसी नियत 

वैसी वरकत।

छोड़ नफ़रत 

कर मुहब्बत।


दिल लगा कर 

पाले जन्नत।

धर्म, मज़हब 

बस है फितरत।


आओ हम तुम 

जोड़े रगवत।

मिल के रहना 

अपनी चाहत।


हम हैं जिंदा 

उसकी रहमत।

ज़िंदगी क्या 

रब की नेमत।


फ़िर अजय तू 

कर ले उल्फत।


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