अपनी शर्तों पे जिया है और कुछ नहीं मुझ पे रहमते खुदा है और कुछ नहीं । जिंदगी भर बस मुसलसल जद्दोजहद आंधियों में एक दिया है और कुछ नहीं । -अजय प्रसाद
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