Rahul Shrivastava

Drama

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Rahul Shrivastava

Drama

मुस्कुराहट

मुस्कुराहट

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मुस्कुराइए कि आप के मुस्कुराने से

खूबसूरत ख्वाब मिलते हैं

खुशबू से उतर आती है होठों पे कहीं

हर तरफ जैसे गुलाब खिलते हैं


यूँ रखा ही क्या है इन सफहों में

चंद हर्फों के सिवा

पलटते पलटते कभी यूं दिल में बस गए

तो इन्हीं में कुछ शेर लाजवाब मिलते हैं


पिरो के अपने आँगन में

सींचिये तो सही ये उम्मीद के दाने

चंद ही रोज़ में देखिए

कैसे इनसे शरीफे बेहिसाब मिलते हैं


यूं नहीं मिलते गुज़रती हुई भीड़ में

बस इक चेहरा लिए हुए

रूह से पुकारो

और ज़ेहन से परखो

तब कहीं जाकर

जनाब मिलते हैं


आप अकेले नहीं हैं

जो इनकी वहशत से मुखातिब हुए हैं आज

खूबसूरत मंज़िलों के सफर में

हर एक मुसाफिर को

ये अजाब मिलते हैं


वो जिनकी आँँखों में

मायूसी के लिए कोई जगह ही नहीं

अपनी पलकों में सिर्फ़ जुनून लिये

वो लोग जहाँँ मिलते हैं

कामयाब मिलते हैं


वो जो रोशनी की राह में मिलते हैं

सलीबों पे गढे हुए

उन्हीं चिरागों के धुएँ में अक्सर

हज़ारों इंकलाब मिलते हैं !


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